Monday 20 June 2011

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा -कैफ़ी आज़मी

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा

ज़हर चुपके-से दावा जान के खाया होगा

दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क़ आँखों ने पिए, और न बहाए होंगे
बंद कमरे में, जो ख़त मेरे जलाए होंगे
एक-इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा

उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
हर तरफ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा

छेड़ की बात से अरमां मचल आये होंगे
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आये होंगे
नाम पर मेरे जब आंसू निकल आए होंगे
सर न काँधे से सहेली के उठाया होगा

ज़ुल्फ़ जिद करके किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे चाई होगी
बिजली नजरो ने कई दिन न गिराई होगी
रंग चेहरे पे कई रोज़ न आया होगा

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके-से दावा जान के खाया होगा

(कैफ़ी आज़मी)

No comments:

Post a Comment